APJ ABDUL KALAM

रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर न्यूज पेपर बांटते थे.

आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहा कर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे.

 

सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे. ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे.

 

एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ.

- पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे. पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे .

मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया।

वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे।

इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।

पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया. सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया.

- इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है. इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

--एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. . की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया।

--भारत के सर्वोच्च पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया.

--राष्टपति कलाम ने अपने जीवन भर की बचत और वेतन, एक संस्था PURA (जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराना है) को दे दिया।

 

 

- कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया.

STORIES :-

1. जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन (DRDO) में काम कर रहे थे। तब भवन की सुरक्षा के लिए उनके साथ काम कर रहे अन्य लोगों ने इमारत की दीवार पर टूटे हुए शीशों के टुकड़े लगाने के बारे में सुझाव दिया। लेकिन जब यह बात डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को पता चली, तब उन्होंने ऐसा करने से सबको रोक। क्योकि ऐसा करने से, उस दीवार पर बैठने वाले पक्षी घायल हो सकते थे

2. लगभग 400 विद्यार्थी डॉ कलाम का भाषण सुनने आये थे, लेकिन तभी वहां बिजली चली गयी। लेकिन डॉ कलाम ने अपना भाषण नहीं रोका, वह भीड़ के बीच में चले गए और अपनी बुलंद आवाज में वहीं से अपना भाषण पूरा किया।

3. एक बार एक व्यक्ति ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का स्कैच बना कर उन्हें भेजा। उन्हें यह जान कर बहुत आश्चर्य हुआ कि डॉ कलाम ने खुद अपने हाथों से उनके लिए एक संदेश और अपना हस्ताक्षर करके एक थैंक यू कार्ड भेजा है।

4. आईआईटी वाराणसी के दीक्षांत समारोह में, डॉ कलाम को मुख्य अथिति के रूप में बुलाया गया। स्टेज पर 5 कुर्सियां रखी थी। बीच वाली कुर्सी, डॉ कलाम की थी और बाकि चार विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों के लिए। डॉ कलाम ने यह देखा कि उनकी कुर्सी, अन्य की तुलना में थोड़ी ऊची थी। तब उन्होंने इस पर बैठने से मना कर दिया और उस पर विश्वविद्यालय के कुलपति को बैठने के लिए अनुरोध किया।

 

 

5.राष्ट्रपति कलाम ने राष्ट्रपति बनने के बाद केरल की अपनी पहली यात्रा के दौरान केरल राजभवन में  “राष्ट्रपति मेहमानके रूप में आमंत्रित किया :

सड़क के किनारे बैठने वाला मोची
छोटे से होटल के मालिक

 

किताबें

कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं: 'इण्डिया 2020  विज़न फ़ॉर न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग पॉवर विदिन इंडिया' इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।

"सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, जरूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना..."

-अब्दुल कलाम[52]

कलाम साहब की प्रमुख पुस्तकें निम्नवत हैं:

 

चिंतनपरक रचनायें

  • इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग पावर विदीन इंडिया : (पेंग्विन बुक्स, 2003) 
  • इंडिया- माय-ड्रीम : (एक्सेल बुक्स, 2004)
  • एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन : (टाटा मैक्ग्राहिल प्रकाशन, 2004) 

आत्मकथात्मक रचनायें

    • विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम : सह लेखक - अरुण तिवारी, (ओरियेंट लांगमैन, 1999) 
    • साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट : (ज्ञान पब्लिशिंग हाउस, 2003
    • माय जर्नी (मेरी जीवनयात्रा), प्रभात पेपरबैक्स, नयी दिल्ली 

 

 

पुरस्कार एवं सम्मान

वर्ष 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया। नेशनल स्पेस सोशायटी ने वर्ष 2013 में उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान सम्बंधित परियोजनाओं के कुशल संचलन और प्रबंधन के लिये वॉन ब्राउन अवार्ड से पुरस्कृत किया।

सम्मान का वर्ष

सम्मान/पुरस्कार का नाम

प्रदाता संस्था

2014

डॉक्टर ऑफ़ साइन्स

एडिनबर्ग विश्वविद्यालययूनाइटेड किंगडम

2012

डॉक्टर ऑफ़ लॉज़ (मानद उपाधि)

साइमन फ़्रेज़र विश्वविद्यालय

2011

आइ॰ई॰ई॰ई॰ मानद सदस्यता

आइ॰ई॰ई॰ई॰

2010

डॉक्टर ऑफ इन्जीनियरिंग

यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाटरलू

2009

मानद डॉक्टरेट

ऑकलैंड विश्वविद्यालय

2009

हूवर मेडल

ए॰एस॰एम॰ई॰ फाउण्डेशन, (सं॰रा॰अमे॰)

2009

वॉन कार्मन विंग्स अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड

कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, (सं॰रा॰अमे॰)

2008

डॉक्टर ऑफ इन्जीनियरिंग (मानद उपाधि)

नानयांग टेक्नोलॉजिकल विश्वविद्यालय, सिंगापुर

2008

डॉक्टर ऑफ साइन्स (मानद उपाधि)

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़

2007

डॉक्टर ऑफ साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी की मानद उपाधि

कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय

2007

किंग चार्ल्स II मेडल

रॉयल सोसायटी, यूनाइटेड किंगडम

2007

डॉक्टर ऑफ साइन्स की मानद उपाधि

वूल्वरहैंप्टन विश्वविद्यालय, यूनाईटेड किंगडम

2000

रामानुजन पुरस्कार

अल्वार्स शोध संस्थान, चेन्नई]

1998

वीर सावरकर पुरस्कार

भारत सरकार

1997

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस

1997

भारत रत्न

भारत सरकार

1994

विशिष्ट शोधार्थी

इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (इण्डिया)

1990

पद्म विभूषण

भारत सरकार

1981

पद्म भूषण

भारत सरकार

 

 

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